नागद्वारी यात्रा ..नागलोक में आपका स्वागत है |

नागद्वारी_की_कठिन_यात्रा

मेरे सभी घुमक्कड़ दोस्तों के लिए विशेष जानकारी |
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ये यात्रा हर साल अगस्त माह नागपंचमी के 11 दिन पहले शुरु की जाती है, इस साल पांच अगस्त से शुरु होकर 11 दिन तक चलेगी जो हमारे शहर छिंदवाड़ा जिला एवं होशंगाबाद जिला मध्य प्रदेश के पचमढ़ी से शुरु होती है , जिसमें दोनो जिलो की सहभागिता से इस यात्रा की व्यवस्था यात्री के लिए कि जाती |
                       ( #यात्रा_परिचय )
सतपुड़ा के ऊंचे पेड नादियां , पहाड़ एवं झरनों को पार करते हुए लगभग 12 km तक का उंची पहाड़ियों से गुजरते हुए करना होता है यात्रा पूरी कर लौटने में यात्रियों को दो दिन लग जाते है | | आमतौर पर सीजन के मुताबिक यात्रीयों को बारिश का सामना करना पडता है | कहा जाता है की ये अमरनाथ जैसी कठिन यात्रा ही है, यहाँ पर आपको पैदल ही चलना है कोई भी घोडे खच्चर की सुविधा नहीं है | नागद्वारी के यात्रा करते समय उँचें पहाड़ों पर गुफाएं भी नजर आती है जिसका अपना धार्मिक महत्व है | यात्रा के द्वारान रास्ते में देनवा नदी सहित करीब 20 छोटे-छोटे नाले पड़ते है जिनको आपको पार करते हुए जाना होता है | ,इस पहाड़ी नालो के करलव के बीच उंचे पहाडोे से गिरने वाले झरनें मन मोह लेते है | नागद्वारी की गुफा करीब 35 फीट लंबी है |

                            नागद्वार तक पहुँचने के लिए पर्यटकों को कई पहाडियों से चढना उतरना होता है | रास्ते में काजली गाँव पड़ता है जो चारों और से नदियों से घिरा  हुआ ओर पहाडियों से ढाका हुआ है | ऊंचाई से देखने में यह गाँव इतना व्यवस्थित लगता मानो किसी चित्रकार ने यहाँ पर हर मकान,खेत नदियों को अपने रंगों से रंगा हो | यहाँ काजली वन ग्राम में पहले कुछ आदिवासी परिवार बसते थे | जिन्हे पेंच टाइगर रिजर्व ने हटा दिया |अब नागद्वारी यात्रा में आने वालों के लिए यहाँ ठहरने की खास व्यवस्था की जाती है | प्रशासन की और से यहाँ 100 वाटरप्रुफ टेंट लगाये जाते है, इसके आलावा जगह- जगह डस्टबिन और शौचालय की व्यवस्था की जाती है |
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                       (  #यात्रा_के_पड़ाव )
आप किसी भी राज्य को हो पर आपको पचमढ़ी तक पहुँचना ही होगा ...अपनी सुविधा अनुसार क्योकि मेन पड़ाव पचमढ़ी ही है | और यात्रा की शुरुआत यही से होती है |
#धूपगढ :-- पचमढ़ी की सैर कर चुके लोग धूपगढ से अनभिज्ञ नहीं होगें | यहाँ का सन् सेट प्रसिद्ध है ....और फोटोग्राफी के लिए बेहतरीन जगह है ये |
क्रमवार रुट .....धूपगढ गणेश टेकरी, काजली,             पश्चिमद्वार,पदमशेषद्वारा,अंबामाई  |
अंबामाई यात्रा का अंतिम पड़ाव माना जाता है | नागद्वारी यात्रा में मुख्य पड़ाव है स्वर्गद्वार तक पहुँचने के लिए दो पहाडियों के बीच लोहे की खड़ी सीढियां लगाई गई है |
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                    #इस_यात्रा_की_मान्यता
             इसे नाग राज की दुनिया भी कहा जाता है ||
वैसे भी हमारे देश में किसी खास मौसम में की जाने वाली यात्रा का कोई ना कोई महत्व होता है या उसके पीछे कुछ कहानियाँ होती है | इस यात्रा का किसी पुराण या किसी भी धार्मिक पुस्तक से कोई लेना देना नहीं है | इसकी बस इतनी ही मान्यता है की काजली गाँव में रहने वाली एक महिला ने पुत्र प्राप्ति के लिए नागराज को काजल लगाने की मन्नत की थी | पुत्र प्राप्ति के बाद वह काजल लगाने पहुँची तो नागराज का विशाल रुप देखकरसे मोक्ष को प्राप्त हो गई  😊 | ये यात्रा लगभग 100 साल से शुरु हुई है |
            इसकी मान्यता का क्या महत्व है हमें नही पता अगर आप सभी कुछ एडवेंचर और कुछ नाया देखना चाहते है तो इस यात्रा को जरुर करे | घने जंगल,ऊंची चोटियों के बीच कल कल करती नदियों और झरनों का आकर्षण आपके मन को मोह लेगा | आप चाहे तो वहाँ के आदिवासीयों के अपने साथ गाइड के रुप में और अपना सामान लेकर चलने के लिए रख सकते है कुछ पैसे देकर |
                               #नोट_
ये सभी फोटो गुगल से ली गई है |

ये हमारे मध्य प्रदेश का सबसे कठिन और खूबसूरत ट्रेक है.......जिसे अमरनाथ जैसी कठिन यात्रा से जोड़ा जाता है |
              तो स्वागत है आप सबका हमारे मध्य प्रदेश के #नागलोक में | आइये अगर कुछ अलग हट कर रोमांचक ऐड्वेंचर करना चाहते है तो |

                         🌺  #शालिनी 🌺
पोस्ट पर शेयर कर हमारे राज्य की इस कठिन ट्रेक यात्रा की जानकारी आपके माध्यम से लोगो तक पहुँचे, क्योकि आप लोगों  से बहुत से ऐसे व्यक्ति  जुड़े है जो इस तरह की कठिन यात्रा या रोमांच पसंद करते है, और जो घुमक्कड़ी के लिए कुछ नई जगहों की तलाश में रहते |

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