भरतपुर का इतिहास
भरतपुर_का_रोचक_इतिहास_पढ़े ( राजस्थान )
जनवरी 2019 मे भरतपुर जाने का मन हुआ और हम चल पड़े पर पहले से ऐसा कोई प्लान ना था दिल्ली गये हुये थे तो दिल ने कहा चल कही चलते है ...तो हम निकल पड़े अपनों के साथ भरतपुर भ्रमण के लिए 😊
तो क्रमानुसार शुरुआत करते है ...भरतपुर के बारे में तो जरा चाय पानी का इंतजाम कर पोस्ट पढ़ने के लिए मेरे दिलचस्प दोस्तों तैयार हो जाओ 😍
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1- #भरतपुर_के_आसपास_अन्य_दर्शनीय_पर्यटन #स्थल:-
पर्यटन के लिहाज से भरतपुर बहुत खूबसूरत स्थान है धार्मिक पौरणिक मान्यताओ के अनुसार ब्रजमण्डल कहलाता है ।ब्रज 84 कोस परिक्रमा में इसके कई स्थान है।
(1)-: डीग महल जो कि भरतपुर से मात्र 32 किलोमीटर दूरी पर है ये अपने जल महलो के लिये प्रसिद्ध है जो बेहद ही खूबसूरत है ।
(2)-: 29 वर्ग किलोमीटर विश्व धरोहर में शामिल प्रवासी पक्षियों का बसेरा केवला देव घना पक्षी अभ्यारण में 375 प्रजाति के पक्षी पाये जाते है जिसमे साइबेरियन प्रमुख है।
(3)-: बाणासुर की नगरी जो अब बयाना के नाम से जानी जाती है इसके समीप है।
(4)मथुरा (5) आगरा फ़तेहपुर सीकरी महज 50 किमी की दूरी पर है । (6)-: रनथम्भोर, श्री महावीर जी,सरिस्का (7)-: अलवर भानगढ़ का किला ||
#भरतपुर_के_दर्शनीय_स्थल
महल खास मोती महल दादी महल किशोरी महल जवाहर बुर्ज म्यूजियम जिसमें बुद्ध की मूर्तियाँ एवं पुरातन काल के कई प्रमाण है। भरतपुर में राजा सूरजमल की कचहरी लगा करती थी उसी कचहरी में फांसी घर भी है |
#रानीयों_का_स्नान_गृह
और यहाँ पर रानियों के नहाने का कई कमरों का स्नान गृह भी है जो बेहद खूबसूरत है भाप स्नान से लेकर समस्त सुविधा उपलब्ध थी रानीयों के नहाने के लिए उस वक्त | हमने अब तक जितने भी महल देखें उन सब में रानीयों के नहाने का स्नान गृह अब तक का सबसे खूबसूरत भरतपुर का ही लगा हमें, सच मे बेहद खूबसूरत है ये |
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2 :-- #भरतपुर_का_इतिहास
राजस्थान का पूर्वी सिंहद्वार भरतपुर। जिसकी स्थापना 19 फरवरी सन 1733 बसंतपंचमी के दिन जाटों के प्लूटो राजा सूरजमल ने करी थी।
इसे लोहागढ़ के नाम से भी जाना जाता है जबकि इस किले के निर्माण में जरा सा भी लोहे का उपयोग नही करा गया है। अपनी अजेयता के कारण इसे लोहागढ़ कहा जाता है। सन1803 में इस किले पर अंग्रेज लार्ड लेक ने 13 बार आक्रमण किया,लेकिन इस किले को जीत न सका। वायु यान के आविष्कार से पहले इस किले को जीतना सम्भव नही था। महाराजा सूरजमल के वीर योद्धा जिन्होंने भरतपुर की सीमा धौलपुर अलवर आगरा मैनपुरी अलीगढ़ हाथरस गुडगांव और मथुरा तक को अपनी रियासत में शामिल कर लिया था।जिनकी तूती दिल्ली के दरबार मे भी बोलती थी।
जब राजपूत मुगलों से रोटी और बेटी का सम्बंध स्थापित कर रहे थे तब ये योद्धा अकेले उनसे लोहे के चने चबबा रहा था। चित्तोड़ का अष्ट धातु का दरवाजा जो अल्लाहउद्दीन खिलजी जीत कर दिल्ली ले गया, उसको लाल किले से 1765 में महाराज जवाहर सिंह ने भरतपुर के किले में लगा दिया।जो आज तक स्थापित है।
कहते है ना धन और बल का समायोजन बहुत ही बलशाली होता है , तो मुगलों का जो भी खजाना यहाँ ये होकर गुजरता था उसे यहाँ के राजा द्वारा अपने कब्जे में ले लिया जाता था छापामारी करके ....एक तरह से ये लोग मुगलों के धन को अपने कब्जे में लेकर उनकी धन और बल से कमर तोड़ते थे..😊 जिसे राजकीय रणनीति कहा जा सकता है !!
बयाना-कहा जाता है ये बाणासुर की नगरी थी इस का अभेद किला जिसके अब मात्र खण्डहर शेष है।राणा सांगा और बाबर के मध्य 1527 में यहाँ खानवा का युद्ध हुआ था। वाणासुर की बेटी ऊषा और कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के प्रेम का गवाह रहा है । जिसका प्रतीक ऊषा मन्दिर है जिसका निर्माण यहाँ की रानी चित्रलेखा ने करवाया ||
बयाना मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है बुजुर्ग बताते हैं कि भारत पाकिस्तान के विभाजन के समय केवल ढाई कब्र कम पड़ गयी थी वरना मक्का मदीना की जगह इसको माना जाता।
वैर:-बयाना से 21 km की दूरी पर है।पहले यहां पर बैर का घना जंगल था इसी वजह से इसका नाम वैर पड़ा।सफेद महल लाल महल केशर क्यारी मुख्य पर्यटन स्थल है। इसकी स्थापना पर काशी से पंडित बुलाये गए जो यहां पर बस गये, इस कारण इसको छोटा काशी भी कहते है। जाने माने कवि और विद्वान डॉ रांगेय राघव की जन्मस्थली।
कांमा:-कृष्ण कथाओं में वर्णित 12 वनों में से 5 वा वन काम्यवन होने के कारण इसका नाम है।
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#महाराज_बच्चू_सिंह_जी महराज ब्रजेन्द्र सिंह जी के छोटे भाई और बाबा अम्बेडकर जी को लेकर कुछ किवदन्ती भरतपुर में फेमस है ....हम यहाँ नहीं लिख सकते आप गुगल बाबा जी की शरण में जाये बहुत कुछ दिलचस्प बाते पता चल जायेगी......वैसे हमे ये किवदन्ती सही लगी क्यू ये कोई हजारों साल पुरानी बात तो है नहीं ये ! और इतिहास उस समय वैसा ही लिखा गया जो ताकतवर लोगों ने चाहा मतलब तोड मरोडकर ये तो आप सब भी जानते ही होगें |
#विशेष_बात
श्याम सक्सेना जी ने एवं इनके परिवार और पड़ोसी घरेलू मित्र वीनू भैया के परिवार ने हम लोगों की बहुत मदद करें और इतनी अवभगत करे दिल से की हम शुक्रिया कह कर उनके मेहमानवाजी के महत्व को कम नही करना चाहते हम | एक बात और हमारे एक खास दोस्त ♏ के बहुत बडे फेन है ये...उनसे मिलने की तमन्ना बहुत है श्याम जी को और वो चाहते है की अब जब भी हम दुबारा भरतपुर आये तो अपने उन खास दोस्त के साथ ही आये क्योकि अभी भरतपुर के आसपास के बहुत से स्थल समय की कमी के कारण छूट गये है |
ये संपूर्ण जानकारी में श्याम जी ने बहुत मदद की हमारी !! श्याम जी आपको आभार व्यक्त ना करेंगे...पर ये जरुर काहेगें आप दिल से सच्चे इंसान हो | और हम अपने दोस्त के साथ जरुर आयेगें दुबारा आपको तकलीफ देने || 😊😊 #पंखिनी_शालिनी_♏
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जब भी भरतपुर जाओ तो जरा समय निकाल कर जाये क्यू की यहाँ पर इतिहास फैला हुआ है जिसे आप अपनी अनुभवी आंखों से समेट सकते है |
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