छोड़ो यार......बहाने निकल पडो दुनिया अजमाने 💜💝

           बरगी डेम.....जबलपुर में घुमक्कड़ी !!

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बात शुरु करते है घुमक्कड़ी से ! शौक तो बहुत था घूमने का और कोशिश करते रहते थे कब कहा कैसे जाया जाये जानने की ! तो सबसे पहले हमने शुरुआत करे घूमने की अपनी बेटी के साथ ग्वालियर, आगरा, फतेहपुर शिकरी , इससे पहले अपनी मां और बेटी को लेकर उड़ीसा का भी टूर कर चुके थे ! इससे ये समझ आ गया की इन सबको लेकर घूमने लेकर जाना मतलब ज्यादा खर्चे का घर है , क्योकि इन लोगों को हर जगह लगजरी व्यवस्था चाहिए ! और हम ठहरे गवर्नमेंट जॉब वाले एक छोटे से कर्मचारी ऑफिस असिस्टेंट तो ज्यादा सुविधा ना दे सकते थे इनको ! इस लिए तय कर लिया की अब अकेले ही घूमा जाये क्योकि हम हर परिस्थितियों से समझौता करना जानते है और कम खर्च में भी हो जायेगा क्योकि घुमक्कड़ी का नशा अब सिर चढ कर बोलने लगा था , तो फिर शुरु हो गई हमारी यात्रा फिर fb के माध्यम से हम घुमक्कड़ लोगों से जुड गये जिनके पास घुमक्कड़ी की जानकारी के बेसुमार खजाने है ! अब रुकता कौन था , जो राह चुनी मैने अब तो चलते ही जाना है ! वैसे मेरी मां कहती है ये तो पागल हो गई है घूमने को लेकर पर रोकता कोई नहीं अब सब समझ गये सुनने से रही ये घूमने को लेकर बस बताना होता है कहां जा रहे है किसके साथ जा रहे है ! जिनके साथ जाते है उनके बारे में बता रखा है हमने घर में ! और अकेले गये तो कोई बात नहीं ! 

चलो कुछ जीवन जीने के बारे में बात की जाये ! हम सभी अपनी अपनी दिनचर्या में बीजी ही रहते है ,घर परिवार जीवन जीने के लिए पैसा कमाते रहते है क्योकि ये भी सच है पैसे के बीना जीवन चलता भी नही है ! इसलिए इसी दौड़ धूप में हम अपने जीवन को धीरे धीरे खत्म करते जाते है , प्राकृति ने जो अनमोल खजाना इस धरती में बिखर रखा है , उससे अनजाने ही बने रहते है ! 

               यहाँ पर यह नही कहा जा रहा है की घर परिवार को छोड दो या जिम्मेदारीयों को छोंड दो सब निभाते हुए कुछ पल खुद के लिए भी जी लो यार जीवन बहुत छोटा है निकल कर देखों दुनिया कितनी खूबसूरत है कितना कुछ बिखरा हुआ है यहाँ पर जिसे हमें अपने अंदर समेटना है ! सच में घुमक्कड़ी से अच्छा मेडिटेशन आज तक अनुभव नही किया हमने ! चाहे परिवार के साथ जाओ अकेले जाओ दोस्तों के साथ जाओ पर घर और परिवार से कुछ वक्त जरुर निकालो अपने लिये जी लो जरा ये जिंदगी दुबारा मिले या ना मिले क्या पता ! ज्यादा पैसों की भी जरुरत नही है घुमने के लिए कम पैसे मे भी ग्रुप के साथ घूमा जा सकता है !

                       जैसे अभी 24 और 25 दिसंबर की छुट्टी थी पता चला बरगी डेम में झील महोत्सव चल रहा है जहाँ पर वॉटर स्पोर्ट्स , वॉटर ऐड्वेंचर हो रहा है तो हम अपनी ऑफिस की दोस्त अर्चना के साथ जबलपुर निकल पड़े जो लगभग हमारे शहर से पांच घंटे का रास्ता है ! तो हम दोनों सुबह 7 बजे यहाँ से निकले और 12 बजे दोपहर तक पहुँच गये वहाँ जाकर हम लोगों ने होटल लिये एक रात के लिए हम दोनों के जबलपुर में दोस्त और रिश्तेदार है पर हम लोगों ने वहाँ रुकना उचित ना समझा हां पर सबसे मिलने जरुर गये !  24 तारीख को हम दोनो शहर घूमे और विनय अंबर जी के आर्ट प्रोग्राम को अटेंट कर रात को होटल में सो गये ! 24 तारीख़ को ही एक जबलपुर के अधिकारी से बात कर लिये थे बरगी डेम तक जाने की क्योकि जबलपुर शहर से लगभग 100 km है तो उनके माध्यम से हम लोगों को गाड़ी उपलब्ध हो गई थी बरगी  तक जाने की ! 


                   25 की  सुबह 11 बजे ड्राइवर गाडी लेकर होटल के सामने आकर खड़ा हो गया वैसे हम लोग भी तैयार हो गये थे नाशता कर के तो निकल पड़े फिर अपने एडवेंचर्स के लिए ! तीन चार घंटे वहाँ बिताने के बाद हम दोनो अपने शहर वापस शाम को 8 बजे तक घर !
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              बरगी डेम के बारे में कुछ जानकारी """""""""""""""""""'"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
मध्य प्रदेश के जबलपुर सभांग में हर साल झील महोत्सव 21 दिसंबर से 1 जनवरी तक मनाया जाता है जहाँ पर वॉटर स्पोर्ट्स , वॉटर ऐड्वेंचर होते है एवं क्रुज भी चलता है जिसमें 45 मिनट तक आपको डेम में घुमाया जाता है जिसमें म्यूजिक भी चलता है , आप चाहे तो डांस भी कर सकते है !

                      और बहुत सारे वॉटर स्पोर्ट्स भी होते है जिसकी अलग अलग फीस रखी गई है ! रुकने के लिए वहाँ पर डेम किनारे बहुत ही खूबसूरत टेंट की व्यवस्था की गई जहाँ पर आपको खाना पीना सब मिलेगा और बरगी डेम के पास कुछ होटल भी है रुकने के लिए ! महोत्सव के कारण वहाँ पर कुछ लोगों ने खाने की दुकान भी लगा रखी थी मतलब आपको वहाँ गाँव के खाने से लेकर पिज्जा बर्गर सब उपलब्ध रहेगा ! आप चाहे तो वहाँ चार पांच दिन आराम से रुक  सकते है !

             अगर आप इस उत्सव में शामिल होने जबलपुर आते है तो , आप भेडाघाट में धुंआधार एवं  नौका विहार कर सकते है संगमरमर की चट्टानों के बीच जहाँ पर आशोका फिल्म की शूटिंग के साथ - साथ ना जाने कितनी ही फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है ! साथ में नर्मदा मां के दर्शन भी कर लेगें ग्वारीघाट भी चले जाये जहाँ पर सिर्फ एक ही दूकान है जहाँ पर बांटी भरता बहुत ही स्वादिष्ट मिलता है ! मतलब आप जबलपुर आयेगें तो आपको बहुत कुछ देखने को मिलेगा यहाँ पर ! और एक बात और हमारे mp की रोड बहुत अच्छी है आप लोगो को सफर करने में कोई दिक्कत भी ना होगी आप हर तरह से यहाँ पर सुरक्षित है ! तो पधारो मारे mp में बहुत कुछ है नेशनल पार्क से लेकर ऐतिहासिक धरोहर तक नदियों से लेकर चंबल तक ! 

          तो दोस्तों अगर आपके शहर के आसपास इस तरह के उत्सव होते है तो जरुर जाये क्योकि आपके शहर के आसपास होने के कारण ये उत्सव कम खर्च में किये जा सकते है !  जीवन की रोज की दिनचर्या से कुछ अलग ही हट कर महसूस करे ! और निकल पड़े इन पलो को जीने के लिए ! जरा कोशिश तो करके देखें सच मे बहुत कुछ आपके अंदर बदलने लगेगा ! और हां विरोध तो मेरा भी होता है , और बहुत सी बातें भी होती है क्योकि अकेले ही जो निकलते है कभी कभी पर परवाह किसे इस घुमक्कड़ी जोगिनी को ! अभी तो सफर और भी तय करना है , तो आ जाओ साथ हमारे चलते है फिर दुनिया को नापने !

चलो अब bye बहुत दिमाग चाट लिया आप लोगों का मिलते है अगली दिलचस्प कोई यात्रा को लेकर !

नाजारों को निहारते हम 
फनी मूड 😝
बरगी डेम के गेट 
हाउस बोट जिसमें आप चाहे तो एक दो दिन रुक सकते है , फुल Ac है जिसमें आपको खाना वगैरह सब उपलब्ध है जो पूरे दो तीन दिन पानी में आपको लेकर घूमता रहेगा ! 
डेम में अताह: जल राशी 
क्रुज 
सब आनंद लेते हुये 

रास्ते में काली मां की मूर्ति 
यहाँ पर भी हाथ अजमा लिये 😜
आसमान में उड़ने की कोशिश 
ये फोटो तामियां की ऑफिस के लोगो के साथ ये फोटो बीच में इसलिए कि देखे कैसे हमे पल चुराना है अपने बीजी जीवन से क्योकि बरगी से लौटने के दो दिन बाद ही यहाँ गये थे ! 
वैसे कुछ वक्त पहले तामियां के बारे में लिख चुके है ! 
वॉटर एडवेंचर 
घर लौटके वक्त रास्ते में ली गई फोटो 
हम और अर्चना मेडम बरगी में ! 

Comments

  1. आपके लेख के माध्यम से एक सुंदर और शानदार जगह का पता चला जबलपुर तो गया हूं आगे आसपास और जगह देखी लेकिन इस जगह की जानकारी नहीं थी दोबारा कभी उस तरफ जाने का मौका लगा तो इन्हीं तिथियों के बीच जाएंगे ताकि वहां के पलों का आनंद ले सके

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  2. फेसबुक के माध्यम से आपके ब्लॉग का पता चला और ब्लॉग से सुंदर जानकारी मिली.मैं हिंदी का पण्डित तो नहीं हूं लेकिन आपकी लेखनी में व्याकरण की कमियां है,जैसे (!)का प्रयोग गलत किया गया है.फिर भी अच्छा लेख..फोटो तो कमाल हैं.👌👌

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    1. अच्छा लगा गलतियाँ पता चलते रहना चाहिए ! पर लिखते वक्त सच में ध्यान नही दे पाते कहा गलत हो रहा है ! जो भी लिखते स्पेस देते वक्त ना जाने मात्रा और शब्द कैसे बदल जाते है मोबाइल से ! ध्यान गया तो ठीक वरना गलत हो जाता ! फिर भी आगे ले ध्यान रखेगें !
      धन्यवाद गलती सुधार पर ध्यान देने के लिए !

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  3. ब्लॉग से सुंदर जानकारी मिली

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